सतरंगी जीवन #कहानीकार प्रतियोगिता लेखनी कहानी -16-Aug-2023
भाग --२९
पूजा अपनी गुरु दीदी अंजना के बारे में सोच ही रही थी किचन में काम करते हुए और अपनी मेड रीना का इंतजार कर रही थी, कितनी देर कर दी आज फिर..
तभी रीना का फोन आया और वो बोली, 'भाभी जी मैं कल बताना भूल गई कि मैं हफ्ते भर नहीं आऊंगी, अचानक गुमला जाने का प्रोग्राम बन गया। सॉरी जानती हूं अभी आप पर काम और बच्चों को संभालने का काम ज्यादा बढ़ गया है पर क्या करूं मासी की तबीयत अचानक खराब हो गई और मां को जाना है उन्हें अकेले तो नहीं छोड़ सकती ना इसलिए आज दोपहर की गाड़ी से ही हम गुमला के लिए निकल जाएंगे।"
भगवान जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है कहावत पूरी सही उतरती ही लगी पूजा को। यहां मुसीबतें और काम छप्पर फाड़ कर ही तो मिल रही थी। अब देवर जी के छोटे बच्चों को संभाले, सबके लिए खाना बनाएं, सबके ऑफिस के लिए टिफिन पैक करें, झाड़ू पोछा बर्तन, कपड़े करें फिर अपने दोनों बच्चों को संभाले। लोगों का आना-जाना भी इस बीच कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था जब से जेठानी की भी बीमार पड़ी थी।सब अकेले उसे ही संभालना पड़ रहा था।
उस पर से उसका लेखन बाधित होने से मन अलग परेशान था। तन को भोजन मिले ना मिले पर मां को शांत रखने के लिए पूजा का लिखना बहुत पढ़ना बहुत जरूरी था यह वह बात हो अच्छे से जानती थी की मां की भूख तभी शांत होगी जब कुछ अच्छा पढ़ने को मिलेगा पर अभी तो अखबार तो दूर फोन पर के नोटिफिकेशन भी नहीं देख पाती थी कोई नई किताब पढ़े हुए तो महीना भर बीत गया था।
अंजना दीदी में कितनी एनर्जी है । कभी उनके चेहरे पर और उनकी आवाज में थकावट नज़र नहीं आती। कितना काम करती हैं, अपना घर संभालती हैं बिना किसी हेल्पर की मदद के वह बताती हैं कि उन्होंने कभी घर में किसी कामवाली को रखा ही नहीं खुद ही सारे काम करती हैं फिर हमेशा समाज सेवा के लिए तैयार रहती हैं।
कविता झा'काव्य'अविका
# लेखनी
#कहानीकार प्रतियोगिता
madhura
24-Sep-2023 08:56 AM
Fantastic
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Anjali korde
15-Sep-2023 05:34 PM
Very nice
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hema mohril
13-Sep-2023 08:31 PM
Awesome
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